भारत के सेमीकंडक्टर डिज़ाइन ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) को फिलहाल एक अस्थायी झटका लगा है। टैलेंट सॉल्यूशंस प्रदाता कैरियरनेट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 वित्त वर्ष में इन केंद्रों में नौकरियों के अवसरों में 15% की गिरावट आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2024 में खुले पदों की संख्या 3,760 के शिखर पर थी, जो धीरे-धीरे घटकर जनवरी 2025 में 3,040 और मार्च 2025 में 3,181 रह गई। यह भारत के शीर्ष 50 सेमीकंडक्टर डिज़ाइन GCCs में सतर्क भर्ती रणनीतियों और बाज़ार की अनिश्चितताओं के कारण आई मापी गई मंदी को दर्शाता है।
भू-राजनीतिक तनाव इस भर्ती मंदी का प्रमुख कारण बनकर उभरे हैं। चल रहे अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के चलते उन्नत सेमीकंडक्टर तकनीकों पर निर्यात नियंत्रण कड़े हुए हैं, जिससे वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हुआ है। साथ ही, कोविड-19 महामारी के दौरान उजागर हुई सप्लाई चेन की कमज़ोरियों ने भी कंपनियों को विस्तार के मामले में अधिक सतर्क बना दिया है।
इन चुनौतियों के बावजूद, रिपोर्ट में VLSI, एम्बेडेड सिस्टम्स और RF/एनालॉग डिज़ाइन जैसी विशिष्ट क्षमताओं की मांग में मजबूती बनी रहने की बात कही गई है। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) डिज़ाइन उप-क्षेत्र, जो विशेष चिप घटकों और पुन: प्रयोज्य डिज़ाइन ब्लॉक्स के विकास पर केंद्रित है, में भी मज़बूत मांग देखी जा रही है। मिड-साइज़ GCCs ने बड़ी कंपनियों की तुलना में अधिक तेज़ी से भर्ती की है।
उद्योग विशेषज्ञ मध्यम से दीर्घकालिक दृष्टिकोण को लेकर सकारात्मक बने हुए हैं। कैरियरनेट के एक प्रवक्ता ने कहा, "वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन की मजबूती पर बढ़ता ज़ोर और भारत सरकार की घरेलू सेमीकंडक्टर निर्माण व डिज़ाइन क्षमताओं को बढ़ाने की रणनीतिक पहलें, आने वाले वर्षों में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन नौकरियों के लिए मज़बूत विकास की राह प्रशस्त करेंगी।"
भारत का सेमीकंडक्टर डिज़ाइन GCC इकोसिस्टम 180 से अधिक संगठनों से मिलकर बना है, जिसमें 70 बड़े, मिड-साइज़ और स्टार्टअप प्लेयर्स शामिल हैं, जो H1 2024 तक 1.1 लाख पेशेवरों को रोज़गार दे रहे हैं। भारत दुनिया की कुल चिप डिज़ाइन प्रतिभा का लगभग 20% हिस्सा रखता है, जिससे वह भविष्य में तेज़ी से बढ़ती वैश्विक सेमीकंडक्टर मांग के लिए अच्छी स्थिति में है। अनुमान है कि यह उद्योग 2030 तक $1 ट्रिलियन तक पहुँच सकता है।