क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी प्रगति सामने आई है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की क्षमताओं और अनुप्रयोगों को अभूतपूर्व गति दे सकती है।
स्वीडन के चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक अत्यंत कुशल एम्प्लीफायर विकसित किया है, जिसे 'आज ट्रांजिस्टरों का उपयोग कर बनाए जा सकने वाला सबसे संवेदनशील एम्प्लीफायर' कहा गया है। टीम ने इसकी ऊर्जा खपत को मौजूदा सर्वश्रेष्ठ एम्प्लीफायरों की तुलना में केवल एक-दसवां तक घटा दिया है, वह भी प्रदर्शन में कोई समझौता किए बिना।
यह नवाचार एक स्मार्ट डिज़ाइन से आया है, जो केवल तब सक्रिय होता है जब क्यूबिट्स से डेटा पढ़ा जाता है। कम ऊर्जा खपत क्यूबिट्स के साथ हस्तक्षेप को न्यूनतम करने में मदद करती है और इससे बड़े, अधिक शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटरों का निर्माण संभव हो सकता है। क्वांटम जानकारी पढ़ना अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया है—यहां तक कि हल्का तापमान परिवर्तन, शोर या विद्युतचुंबकीय हस्तक्षेप भी क्यूबिट्स की क्वांटम अवस्था को नष्ट कर सकता है। चूंकि एम्प्लीफायर गर्मी पैदा करते हैं, जिससे डिकोहेरेंस होता है, शोधकर्ता अधिक कुशल क्यूबिट एम्प्लीफायरों की खोज में लगे हैं।
अन्य लो-नॉइज़ एम्प्लीफायरों के विपरीत, नया डिवाइस पल्स-ऑपरेटेड है, यानी यह केवल तब सक्रिय होता है जब क्यूबिट एम्प्लीफिकेशन की आवश्यकता होती है, न कि लगातार चालू रहता है। चूंकि क्वांटम जानकारी पल्सेस में ट्रांसमिट होती है, एक बड़ी चुनौती यह थी कि एम्प्लीफायर क्यूबिट रीडआउट के साथ तालमेल बैठाते हुए पर्याप्त तेजी से सक्रिय हो सके। चाल्मर्स की टीम ने जेनेटिक प्रोग्रामिंग का उपयोग कर एम्प्लीफायर के स्मार्ट नियंत्रण को सक्षम किया, जिससे यह केवल 35 नैनोसेकंड में आने वाले क्यूबिट पल्सेस पर प्रतिक्रिया दे सकता है।
यह प्रगति क्वांटम कंप्यूटरों को बड़े पैमाने पर स्केल करने के लिए आवश्यक है, ताकि वे अधिक क्यूबिट्स को समायोजित कर सकें। जैसे-जैसे क्यूबिट्स की संख्या बढ़ती है, कंप्यूटर की गणनात्मक शक्ति और जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता भी बढ़ती है। हालांकि, बड़े क्वांटम सिस्टम में अधिक एम्प्लीफायरों की जरूरत होती है, जिससे ऊर्जा खपत बढ़ती है और क्यूबिट डिकोहेरेंस का खतरा रहता है। 'यह अध्ययन भविष्य में क्वांटम कंप्यूटरों के अपस्केलिंग के लिए समाधान प्रस्तुत करता है, जहां क्यूबिट एम्प्लीफायरों द्वारा उत्पन्न गर्मी एक बड़ी बाधा है,' चाल्मर्स के प्रोफेसर जान ग्रान (माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स) कहते हैं।
यह उपलब्धि हालिया शोध के साथ मेल खाती है, जिसमें दिखाया गया है कि छोटे स्तर के क्वांटम कंप्यूटर भी नवीन फोटोनिक क्वांटम सर्किट्स के माध्यम से मशीन लर्निंग के प्रदर्शन को बढ़ा सकते हैं। ये निष्कर्ष संकेत देते हैं कि आज की क्वांटम तकनीक केवल प्रयोगात्मक नहीं है—वह कुछ कार्यों में पारंपरिक प्रणालियों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
क्वांटम कंप्यूटरों में ऐसी समस्याओं को हल करने की क्षमता है, जो आज की सबसे शक्तिशाली मशीनों के लिए भी असंभव हैं—जैसे ड्रग डिस्कवरी, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लॉजिस्टिक्स। चाल्मर्स में विकसित अल्ट्रा-एफिशिएंट एम्प्लीफायर केवल तब सक्रिय होता है, जब क्यूबिट्स से डेटा पढ़ना होता है। इसकी स्मार्ट, पल्स-आधारित डिज़ाइन के कारण, यह मौजूदा टॉप-टियर मॉडलों की तुलना में केवल एक-दसवां ऊर्जा का उपयोग करता है।
वर्तमान में कई बड़े भाषा मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए 10 लाख से अधिक GPU-घंटों की आवश्यकता होती है, जबकि क्वांटम न्यूरल नेटवर्क्स पारंपरिक न्यूरल नेटवर्क्स की तुलना में जटिल, उच्च-आयामी डेटा सेट्स को अधिक कुशलता से प्रोसेस करने का वादा करते हैं। गति के अलावा, क्वांटम कंप्यूटिंग एआई को बेहतर ऑप्टिमाइजेशन एल्गोरिद्म, अधिक जटिल मॉडल सिमुलेशन और एआई मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए ऊर्जा की खपत में भारी कमी के माध्यम से क्रांतिकारी बना सकती है।
'हमें उम्मीद है कि क्वांटम एआई में पहली महत्वपूर्ण सफलताएं इस दशक के अंत और अगले दशक की शुरुआत में सामने आएंगी, जब हम आज के शोरयुक्त क्वांटम डिवाइसेज से त्रुटि-सुधारित क्वांटम कंप्यूटरों की ओर बढ़ेंगे, जिनमें दर्जनों से सैकड़ों लॉजिकल क्यूबिट्स होंगे,' IQM में क्वांटम इनोवेशन की प्रमुख डॉ. इनेस डी वेगा बताती हैं। 'ये मशीनें हमें केवल प्रयोगात्मक NISQ क्वांटम एल्गोरिद्म्स से आगे बढ़ने और एआई अनुप्रयोगों के लिए व्यावहारिक व अप्रत्याशित लाभों को अनलॉक करने की अनुमति देंगी। क्वांटम कंप्यूटिंग और एआई का यह मेल दुनिया पर जबरदस्त प्रभाव डाल सकता है। क्वांटम और एआई मिलकर वे समस्याएं हल कर सकते हैं, जो पारंपरिक कंप्यूटर नहीं कर सकते—इससे एआई अधिक कुशल, तेज और शक्तिशाली बन सकता है।'