अमेरिकी सांसदों ने सरकारी प्रणालियों में चीनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रवेश को रोकने के लिए बुधवार को कांग्रेस के दोनों सदनों में एक नया द्विदलीय विधेयक पेश किया है।
'नो एडवर्सरियल एआई एक्ट' का नेतृत्व प्रतिनिधि जॉन मोलिनार (रिपब्लिकन- मिशिगन) और प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति (डेमोक्रेट- इलिनॉय) ने किया है। यह विधेयक अमेरिका की सभी कार्यकारी एजेंसियों को चीन, रूस, ईरान या उत्तर कोरिया में विकसित एआई मॉडल्स के उपयोग से प्रतिबंधित करता है। यह कानून विशेष रूप से DeepSeek को लक्षित करता है, जो एक चीनी एआई कंपनी है और जनवरी में तब चर्चा में आई जब उसने दावा किया कि उसने अमेरिकी कंपनियों जैसे OpenAI के मुकाबले बेहद कम लागत पर प्रतिस्पर्धी एआई मॉडल विकसित किया है।
प्रस्तावित कानून के तहत, संघीय अधिग्रहण सुरक्षा परिषद (Federal Acquisition Security Council) शत्रु देशों के एआई मॉडल्स की एक सूची बनाएगी और हर 180 दिनों में इसे अपडेट करेगी। संघीय एजेंसियां इन तकनीकों को तब तक नहीं खरीद या उपयोग कर सकेंगी, जब तक कि उन्हें कांग्रेस या प्रबंधन और बजट कार्यालय (Office of Management and Budget) से विशेष छूट न मिल जाए। विधेयक में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई तकनीक यह प्रमाणित कर दे कि वह विदेशी शत्रु के नियंत्रण या प्रभाव में नहीं है, तो उसे प्रतिबंधित सूची से हटाया जा सकता है।
मोलिनार ने एक बयान में कहा, "अमेरिका को स्पष्ट रेखा खींचनी होगी: शत्रुतापूर्ण एआई प्रणालियों का हमारी सरकार में कोई स्थान नहीं है। यह कानून हमारे सबसे संवेदनशील नेटवर्क्स में शत्रु एआई के प्रवेश को रोकने के लिए स्थायी फायरवॉल तैयार करता है—जहां समझौते की कीमत बहुत अधिक है।"
यह विधेयक DeepSeek को लेकर बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के बीच आया है, जिसे कुछ अमेरिकी कंपनियां और सरकारी एजेंसियां पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी हैं। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने DeepSeek को चीन की सैन्य और खुफिया गतिविधियों से जोड़ा है, और इसकी प्राइवेसी पॉलिसी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अमेरिकी उपयोगकर्ताओं का डेटा चीन में संग्रहीत होता है।
इस विधेयक को प्रतिनिधि रिची टोरेस (डेमोक्रेट- न्यूयॉर्क) और डैरिन लाहूड (रिपब्लिकन- इलिनॉय) ने हाउस में और सीनेटर रिक स्कॉट (रिपब्लिकन- फ्लोरिडा) व गैरी पीटर्स (डेमोक्रेट- मिशिगन) ने सीनेट में सह-प्रायोजित किया है, जो सरकारी प्रणालियों में विदेशी एआई तकनीकों के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावों को लेकर व्यापक द्विदलीय चिंता को दर्शाता है।