13 जून 2025 को एक ऐतिहासिक आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) नैतिकता रूपरेखा का अनावरण किया गया, जो उन्नत एआई प्रणालियों के जिम्मेदार विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह रूपरेखा प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों, अनुसंधान संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अभूतपूर्व सहयोग से विकसित की गई है, जिसका उद्देश्य एआई प्रणालियों के मानव-स्तर की क्षमताओं के करीब पहुँचने के साथ नैतिक दिशानिर्देश स्थापित करना है।
यह व्यापक रूपरेखा एजीआई की दिशा तय करने वाले पाँच प्रमुख मार्गों को संबोधित करती है: सामाजिक एकीकरण, तकनीकी प्रगति, व्याख्यात्मकता, संज्ञानात्मक एवं नैतिक विचार, और मस्तिष्क-प्रेरित प्रणालियाँ। इसमें तैनाती से पहले पूर्व-परीक्षण (ex-ante testing) और पहले से बाजार में मौजूद प्रणालियों के लिए पश्च-जोखिम मूल्यांकन (ex-post risk assessment) के लिए विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं।
गठबंधन के एक प्रतिनिधि ने कहा, "जैसे-जैसे एजीआई प्रणालियाँ सामाजिक शासन में एकीकृत होती जा रही हैं, यह आवश्यक है कि कानूनी ढांचे और नैतिक दिशानिर्देश स्थापित किए जाएँ जो व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करें।" रूपरेखा पारदर्शिता, जवाबदेही और एजीआई विकास को मानव मूल्यों के अनुरूप रखने की आवश्यकता पर बल देती है।
यह पहल पूर्ववर्ती प्रयासों, जैसे यूनेस्को की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर सिफारिश, पर आधारित है, लेकिन विशेष रूप से उन चुनौतियों को लक्षित करती है जो एजीआई प्रणालियों के कारण उत्पन्न होती हैं, जो कई क्षेत्रों में मानव क्षमताओं के बराबर या उससे आगे जा सकती हैं। यह कार्यबल में बदलाव, गोपनीयता, सुरक्षा और दुरुपयोग की संभावनाओं जैसी चिंताओं को भी संबोधित करती है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि एजीआई अगले कुछ वर्षों में सामने आ सकता है, कुछ के अनुसार 2027 तक कार्यात्मक प्रणालियाँ उपलब्ध हो सकती हैं। यह रूपरेखा ऐसे समय आई है जब बड़े भाषा मॉडल और मल्टीमॉडल एआई प्रणालियों में हालिया प्रगति ने सामान्य बुद्धिमत्ता के पहलुओं जैसी क्षमताएँ प्रदर्शित की हैं।
गठबंधन ने रूपरेखा के कार्यान्वयन और अनुपालन की निगरानी के लिए एक पर्यवेक्षण समिति का गठन किया है, और बल दिया है कि जैसे-जैसे एजीआई विकास तेज़ हो, नैतिक विचार केंद्र में बने रहें। उन्होंने इस महीने के अंत में बैंकॉक में एजीआई नैतिकता पर एक वैश्विक मंच आयोजित करने की भी घोषणा की है, जहाँ हितधारक व्यावहारिक कार्यान्वयन रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।