आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के रोजगार पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर टेक्नोलॉजी जगत में बहस तेज हो गई है। उद्योग के नेताओं के बीच इस बात को लेकर गहरी दरार उभर रही है कि एआई से नौकरियों में भारी कटौती होगी या बदलाव धीरे-धीरे आएगा।
एंथ्रॉपिक के सीईओ डारियो अमोडेई ने मई में चेतावनी दी थी कि एआई अगले एक से पांच वर्षों में सभी एंट्री-लेवल श्वेतपोश नौकरियों का आधा हिस्सा खत्म कर सकता है, जिससे बेरोजगारी दर 20% तक पहुँच सकती है। उन्होंने Axios से कहा, "हम, इस तकनीक के निर्माता होने के नाते, यह बताने की जिम्मेदारी और कर्तव्य रखते हैं कि आगे क्या आने वाला है।" अमोडेई ने यह भी जोड़ा कि अधिकांश सांसद और कर्मचारी "इस बात से अनजान हैं कि यह सब होने वाला है।"
उनकी चिंताएं अकेली नहीं हैं। फोर्ड के सीईओ जिम फार्ले ने हाल ही में कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अमेरिका में लगभग आधे श्वेतपोश कर्मचारियों की जगह ले लेगा," जबकि जेपी मॉर्गन के कंज्यूमर बैंकिंग प्रमुख मैरिएन लेक ने एआई टूल्स के लागू होने पर संचालन कर्मचारियों की संख्या में 10% कमी की संभावना जताई। अमेज़न के सीईओ एंडी जैसी ने भी कर्मचारियों को आगाह किया है कि एआई प्रगति के चलते कॉर्पोरेट वर्कफोर्स छोटी हो सकती है।
ये चेतावनियां ऐसे समय में आई हैं जब प्रमुख टेक कंपनियां पहले से ही मानव कार्यों को बदलने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने खुलासा किया कि कंपनी के 20-30% कोड अब एआई द्वारा जनरेट किए जा रहे हैं। मेटा के मार्क जुकरबर्ग ने उम्मीद जताई है कि अगले साल तक कंपनी के आधे कोड विकास का काम एआई करेगा, जबकि सेल्सफोर्स के सीईओ मार्क बेनिओफ ने कहा कि कंपनी के 30-50% कार्य एआई से हो रहे हैं।
हालांकि, सभी टेक लीडर्स इतने निराशावादी नहीं हैं। एनवीडिया के सीईओ जेनसन हुआंग ने CNN से कहा कि एआई केवल तभी नौकरियां खत्म करेगा "जब दुनिया में नए विचार खत्म हो जाएंगे," वहीं गूगल डीपमाइंड के सीईओ डेमिस हासाबिस के लिए एआई से जुड़ा 'जॉबपोकैलिप्स' उनकी छोटी चिंताओं में से एक है।
जनता का रुख हालांकि निराशावादियों के करीब दिखता है। पीयू रिसर्च सेंटर के हालिया सर्वे के अनुसार, 52% अमेरिकी कर्मचारी एआई के भविष्य के कार्यस्थल प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, जबकि 32% मानते हैं कि इससे उनके लिए दीर्घकालिक रूप से नौकरी के अवसर कम होंगे। YouGov के आंकड़ों के मुताबिक, 48% अमेरिकी एआई द्वारा मानव नौकरियों की जगह लिए जाने को लेकर बेहद चिंतित हैं, जबकि केवल 36% कर्मचारी एआई के कार्यस्थल में संभावित लाभ को लेकर आशान्वित हैं।
जैसे-जैसे कंपनियां एआई में भारी निवेश के साथ-साथ छंटनी भी कर रही हैं, बड़ा सवाल यही है कि क्या नई नौकरियां इतनी तेजी से पैदा हो पाएंगी कि स्वचालित हो रही नौकरियों की भरपाई हो सके।