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जनरेटिव एआई की तिहरी चुनौती: नौकरियां, गोपनीयता और सुरक्षा पर खतरा

जनरेटिव एआई तकनीकों को तेजी से अपनाए जाने के कारण नौकरी छूटने, डेटा गोपनीयता में सेंध और सुरक्षा कमजोरियों को लेकर व्यापक चिंता पैदा हो गई है। हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि जहां एआई कुछ क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ा सकता है, वहीं यह 2030 तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मौजूदा कार्य घंटों का 30% तक स्वचालित कर सकता है। इस बीच, गोपनीयता विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि एआई सिस्टम संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी लीक कर सकते हैं और डेटा एक्सपोजर के खिलाफ अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के चलते यह समस्या तेज़ी से बढ़ रही है।
जनरेटिव एआई की तिहरी चुनौती: नौकरियां, गोपनीयता और सुरक्षा पर खतरा

जैसे-जैसे 2025 में जनरेटिव एआई तकनीकों का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, सार्वजनिक चर्चा के केंद्र में तीन प्रमुख चिंताएं उभरकर सामने आई हैं: नौकरी की सुरक्षा, गोपनीयता की रक्षा और साइबर सुरक्षा जोखिम।

रोज़गार के मोर्चे पर हालिया शोध मिश्रित तस्वीर पेश करते हैं। मैकिन्से के एक अध्ययन के अनुसार, 2030 तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मौजूदा कार्य घंटों का 30% तक स्वचालित हो सकता है, जिसमें जनरेटिव एआई की भूमिका अहम होगी। ऑफिस सपोर्ट, कस्टमर सर्विस और फूड सर्विस जैसी भूमिकाएं सबसे अधिक खतरे में हैं। हालांकि, विनाशकारी भविष्यवाणियों के विपरीत, डेनमार्क में 25,000 कर्मचारियों पर किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि ChatGPT जैसे जनरेटिव एआई टूल्स का अब तक वेतन और रोजगार स्तर पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा है, और उपयोगकर्ताओं ने औसतन केवल 2.8% कार्य समय की बचत की है।

गोपनीयता को लेकर चिंताएं तब और बढ़ गई हैं जब जनरेटिव एआई सिस्टम बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा प्रोसेस करने लगे हैं। IBM के सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ये सिस्टम अपने प्रशिक्षण डेटा से संवेदनशील जानकारी को अनजाने में याद कर सकते हैं और दोहरा सकते हैं, जिसे विशेषज्ञ 'मॉडल लीकेज' कहते हैं। सिस्को के 2024 डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क अध्ययन के अनुसार, जहां 79% व्यवसाय पहले ही जनरेटिव एआई से महत्वपूर्ण लाभ उठा रहे हैं, वहीं केवल आधे उपयोगकर्ता ही इन टूल्स में व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी डालने से बचते हैं, जिससे गोपनीयता जोखिम काफी बढ़ जाता है।

सुरक्षा कमजोरियां तीसरी बड़ी चिंता हैं। सरकारी आकलनों के अनुसार, 2025 तक जनरेटिव एआई मौजूदा सुरक्षा जोखिमों को बढ़ा सकता है, हालांकि ये पूरी तरह नई समस्याएं नहीं होंगी, लेकिन खतरों की गति और पैमाना काफी बढ़ जाएगा। यूके सरकार ने हाल ही में चेतावनी दी है कि जनरेटिव एआई के जरिए टार्गेटेड फिशिंग और मैलवेयर दोहराने जैसी साइबर घुसपैठ तेज और ज्यादा प्रभावी हो सकती है। साथ ही, एआई द्वारा बनाए गए विश्वसनीय डीपफेक्स और सिंथेटिक मीडिया सूचना स्रोतों पर सार्वजनिक भरोसे को कमजोर कर सकते हैं।

जैसे-जैसे संगठन जनरेटिव एआई को तेजी से लागू कर रहे हैं, विशेषज्ञ मजबूत डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क अपनाने की सलाह देते हैं, जिसमें डेटा न्यूनतमकरण, एन्क्रिप्शन, एक्सेस कंट्रोल और नियमित सुरक्षा ऑडिट शामिल हैं। यदि उचित सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, तो यह तकनीक, जो अभूतपूर्व उत्पादकता का वादा करती है, व्यक्तियों और संगठनों को गंभीर जोखिम में डाल सकती है।

गार्टनर के अनुसार, 2025 तक जनरेटिव एआई सभी उत्पादित डेटा का 10% हिस्सा होगा (जो आज 1% से भी कम है), ऐसे में इन चिंताओं को दूर करना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।

Source: Windows Central

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