Google ने अपने प्रयोगात्मक प्रोजेक्ट Starline को आधिकारिक रूप से विकसित करते हुए Google Beam के रूप में पेश किया है, जो एक अत्याधुनिक 3D वीडियो कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म है और वर्चुअल कनेक्शन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने का लक्ष्य रखता है।
Beam की तकनीक के केंद्र में छह हाई-रेजोल्यूशन कैमरों और एक विशेष लाइट फील्ड डिस्प्ले का संयोजन है। ये कैमरे उपयोगकर्ताओं को कई कोणों से कैप्चर करते हैं, जबकि Google का अत्याधुनिक AI वॉल्यूमेट्रिक वीडियो मॉडल इन 2D वीडियो स्ट्रीम्स को फोटो-यथार्थवादी 3D रूपांतरण में बदल देता है। यह सिस्टम सिर की हरकतों को मिलीमीटर स्तर की सटीकता के साथ 60 फ्रेम प्रति सेकेंड पर ट्रैक करता है, जिससे प्राकृतिक आई कॉन्टेक्ट और चेहरे के सूक्ष्म हाव-भाव व बॉडी लैंग्वेज को समझना संभव हो जाता है।
वर्चुअल रियलिटी समाधानों के विपरीत, Beam के लिए किसी हेडसेट या विशेष चश्मे की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, यह एक लाइट फील्ड डिस्प्ले का उपयोग करता है, जो प्रत्येक आंख तक अलग-अलग प्रकाश किरणें भेजता है और गहराई व आयतन का सजीव आभास कराता है। इसका परिणाम यह है कि बातचीत बिल्कुल आमने-सामने जैसी महसूस होती है, जिसमें प्रतिभागी जीवन-आकार और त्रि-आयामी नजर आते हैं।
HP ने Google के साथ साझेदारी में इस तकनीक को बाज़ार में HP Dimension with Google Beam के रूप में लाने की घोषणा की है। InfoComm 2025 में पेश किए गए इस सिस्टम में 65-इंच का 8K लाइट फील्ड डिस्प्ले है, जिसमें छह कैमरे बेज़ल में लगे हैं। HP Dimension चुनिंदा एंटरप्राइज ग्राहकों के लिए 2025 के अंत में $24,999 की कीमत पर उपलब्ध होगा, जबकि Google Beam लाइसेंस अलग से बेचा जाएगा। प्रारंभिक उपलब्धता अमेरिका, कनाडा, यूके, फ्रांस, जर्मनी और जापान में होगी।
दृश्य अनुभव के अलावा, Beam में स्पेशियल ऑडियो भी शामिल है और इसमें AI-संचालित रियल-टाइम स्पीच ट्रांसलेशन क्षमताओं की खोज की जा रही है, जो वक्ता की आवाज़, टोन और भावों को बरकरार रखती है। यह सुविधा पहले से ही Google Meet में उपलब्ध है और जल्द ही Beam प्लेटफॉर्म में भी जोड़ी जाएगी।
कई प्रमुख संगठनों—जैसे Deloitte, Salesforce, Citadel, NEC, Hackensack Meridian Health, Duolingo और Recruit—ने इस तकनीक को अपनाने में रुचि दिखाई है। फिलहाल इसकी कीमत के कारण इसका लक्ष्य एंटरप्राइज ग्राहकों पर है, लेकिन Google ने संकेत दिया है कि भविष्य में इस तकनीक को और अधिक सुलभ बनाने का लक्ष्य है।