बीमा उद्योग एक तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जहाँ कंपनियाँ जटिल विनियामक माहौल के बावजूद अपने संचालन को बदलने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को तेजी से अपना रही हैं।
हाल ही में किए गए एक व्यापक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 90% बीमा कार्यकारी अधिकारियों ने 2025 के लिए एआई को शीर्ष रणनीतिक पहल के रूप में पहचाना है, जबकि 82% ने इसे वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन सुधारने के लिए महत्वपूर्ण बताया। अपार डेटा के साथ, बीमा पेशेवर ग्राहक सेवा, धोखाधड़ी की पहचान, अंडरराइटिंग, मूल्य निर्धारण और बिक्री जैसी प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं। 79% प्रमुख एजेंट पहले ही एआई प्लेटफॉर्म अपना चुके हैं या अगले छह महीनों में अपनाने की योजना बना रहे हैं।
इसके लाभ उल्लेखनीय हैं। एआई-संचालित अंडरराइटिंग दक्षता, सटीकता और ग्राहक संतुष्टि को बढ़ाकर उद्योग में क्रांति ला रही है। इससे प्रोसेसिंग समय तेज हुआ है, जोखिम मूल्यांकन बेहतर हुआ है, व्यक्तिगत पॉलिसियाँ मिल रही हैं और धोखाधड़ी की पहचान में सुधार हुआ है। क्लेम प्रोसेसिंग में, एआई ऑटोमेशन ने प्रोसेसिंग समय को हफ्तों से घटाकर कुछ घंटों तक ला दिया है। स्मार्ट बॉट्स क्लेम्स को कुशलता से संभाल रहे हैं, जिससे मानव हस्तक्षेप कम हुआ है, ग्राहक संतुष्टि बढ़ी है और परिचालन लागत घटी है। धोखाधड़ी की पहचान के लिए, बीमाकर्ता एआई-संचालित मल्टीमॉडल सिस्टम अपना रहे हैं, जो क्लेम्स लाइफसाइकल में टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, वीडियो और सेंसर डेटा को एकीकृत करते हैं। इससे 2032 तक उद्योग को 80-160 अरब डॉलर की बचत हो सकती है।
विभागीय प्राथमिकताएँ भी इन एआई क्षमताओं के अनुरूप हैं। अंडरराइटिंग पेशेवरों के लिए 2025 में प्रीमियम वृद्धि (75%), कोटेशन की गति (53%) और लॉस रेशियो कम करना (43%) शीर्ष प्राथमिकताएँ हैं। क्लेम प्रबंधन में प्रोसेसिंग दक्षता (72%), साइकिल टाइम कम करना (64%) और ग्राहक संतुष्टि बढ़ाना (45%) सबसे महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि, कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं। एआई अपनाने से डेटा गोपनीयता, कर्मचारियों को नई स्किल्स सिखाने की आवश्यकता और एल्गोरिदमिक पक्षपात जैसी चिंताएँ भी सामने आती हैं। जो बीमाकर्ता एआई को जल्दी अपनाते हैं, वे प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकते हैं, लेकिन इन्हें सावधानीपूर्वक हल करना जरूरी है। पूर्वानुमान मॉडल में अंतर्निहित एल्गोरिदमिक पक्षपात हो सकता है, जिससे अंडरराइटिंग या क्लेम एडजस्टिंग में अनजाने में भेदभाव हो सकता है। साथ ही, यह भी चिंता है कि एआई फैसलों में जवाबदेही की कमी हो सकती है और वे उपभोक्ता संरक्षण की तुलना में लागत बचत को प्राथमिकता दे सकते हैं।
बढ़ते नियमन के कारण, अब बीमा कंपनियों को संरक्षित विशेषताओं के आधार पर जोखिम प्रोफाइल बनाने के लिए ग्राहक की सहमति लेनी होती है और एआई के जरिए ग्राहक इंटरैक्शन व व्यापार प्रक्रियाओं का खुलासा करना होता है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा, बीमाकर्ताओं के एआई मॉडल का बार-बार ऑडिट हो सकता है और उन्हें एल्गोरिदमिक जवाबदेही व सुरक्षा मानकों के अनुरूप प्रमाणित किया जा सकता है। इन नियमों को लागू करने की लागत और उनके बीमाकर्ताओं के संयुक्त अनुपात पर प्रभाव को भी समझना जरूरी है। अगर एआई का उपयोग अधिक महंगा और कानूनी जटिलताओं से भरा हो, तो यह अपनाने में बाधा बन सकता है। एक और चुनौती है—विभिन्न क्षेत्रों में कई एआई नियमों का अनुपालन, जिससे बीमा उद्योग में एआई अपनाने के लिए एक समग्र, वैश्विक नियामक ढांचे की आवश्यकता उजागर होती है।
बढ़ती नियामक निगरानी के चलते बीमाकर्ता ऐसे एआई तकनीकों में निवेश कर रहे हैं, जो पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह हों। 2025 का इंश्योरटेक परिदृश्य और अधिक नवाचार, उन्नत तकनीकों का एकीकरण, विकसित होते नियामक ढांचे और बदलती उपभोक्ता अपेक्षाओं से परिभाषित होगा। नियामक और बीमाकर्ता दोनों ही नवाचार की आवश्यकता और नई तकनीक व डेटा के जिम्मेदार, पारदर्शी उपयोग के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं।