चीन के प्रतिस्पर्धी स्मार्टफोन बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने की Apple की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि बीजिंग के नियामकों ने Alibaba के साथ उसकी एआई साझेदारी को मंजूरी देने में देरी कर दी है।
फरवरी 2025 में घोषित इस साझेदारी के तहत Alibaba की एआई तकनीक को चीन में बिकने वाले iPhones में एकीकृत किया जाना था, जिससे Apple को चीन के सख्त नियामकीय माहौल में एक स्थानीय और अनुपालनकारी साझेदार मिल जाता। Alibaba के चेयरमैन जो साई ने इस सौदे की पुष्टि करते हुए कहा था, "Apple ने चीन में कई कंपनियों से बातचीत की, और अंत में हमारे साथ व्यापार करने का फैसला किया।"
हालांकि, साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (CAC) को दी गई एप्लिकेशन अटक गई हैं। सूत्रों के अनुसार, इसका मुख्य कारण चीन और अमेरिका के बीच बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं हैं। चीन के नियमों के तहत, सभी उपभोक्ता-आधारित एआई उत्पादों को सार्वजनिक रूप से जारी करने से पहले नियामकीय मंजूरी लेनी होती है, जिससे यह Apple की एआई रणनीति के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा बन गया है।
Apple के लिए यह समय और भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि 2023 की शुरुआत में चीन के प्रीमियम स्मार्टफोन बाजार में उसकी हिस्सेदारी 70% थी, जो 2025 की पहली तिमाही में घटकर सिर्फ 47% रह गई है। वहीं, घरेलू प्रतिद्वंद्वी Huawei ने अपनी हिस्सेदारी 35% तक बढ़ा ली है और उसने अपने डिवाइसेज़ व क्लाउड सेवाओं में DeepSeek के एआई मॉडल्स को एकीकृत कर लिया है।
उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि नवीनतम पीढ़ी के स्मार्टफोन्स में उन्नत एआई फीचर्स की अनुपस्थिति Apple के लिए चीनी बाजार में एक बड़ी कमजोरी बन गई है। Morgan Stanley के विश्लेषकों ने पहले ही Alibaba साझेदारी को "चीन में Apple की प्रतिस्पर्धी स्थिति के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक" बताया था और कहा था कि इससे देश में iPhone की बिक्री में गिरावट को रोका जा सकता है।
यह देरी दोनों देशों के बीच व्यापक तनाव के बीच आई है, जहां राष्ट्रपति ट्रंप ने आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स पर नए टैरिफ लगाने और Apple को अधिक उत्पादन अमेरिका में स्थानांतरित करने के लिए कहा है। मई में ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर Apple ने चीन से मैन्युफैक्चरिंग नहीं हटाई तो उसके डिवाइसेज़ पर 25% टैरिफ लगाया जा सकता है, जिससे कंपनी की इस महत्वपूर्ण बाजार में स्थिति और जटिल हो गई है।