रोबोटिक्स तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) के इंजीनियरों ने एक ऐसा वास्तविक 'ट्रांसफॉर्मर' रोबोट बनाया है, जो हवा में ही अपना रूप बदलने की क्षमता रखता है।
इस नए रोबोट का नाम एटीएमओ (एरियली ट्रांसफॉर्मिंग मॉर्फोबोट) है, जो हाइब्रिड मोबिलिटी सिस्टम्स में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। पहले के रोबोट्स उड़ और चल सकते थे, लेकिन उन्हें रूप बदलने के लिए पहले जमीन पर उतरना पड़ता था, जिससे ऊबड़-खाबड़ सतहों पर दिक्कतें आती थीं। एटीएमओ इस समस्या का समाधान करता है, क्योंकि यह लैंडिंग से पहले ही अपना रूप बदल सकता है, जिससे हवा और जमीन के संचालन के बीच निर्बाध ट्रांजिशन संभव होता है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक और शोधकर्ता इओआनिस मंद्रालिस ने बताया, "हमने एक नया रोबोटिक सिस्टम डिजाइन और विकसित किया है, जो प्रकृति से प्रेरित है – जैसे जानवर अपने शरीर का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतियों के लिए करते हैं।" यह अध्ययन 28 मई, 2025 को जर्नल 'कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग' में प्रकाशित हुआ।
इस रोबोट की अनूठी डिजाइन में चार थ्रस्टर्स का उपयोग उड़ान के लिए किया गया है, जिनके सुरक्षा कवच जमीन पर पहियों के रूप में काम करते हैं। पूरी ट्रांसफॉर्मेशन प्रक्रिया एक ही मोटर से संचालित होती है, जो केंद्रीय जॉइंट को घुमाकर एटीएमओ को उड़ान और ड्राइविंग मोड्स के बीच बदल देती है। इस सिस्टम की सबसे खास बात इसका उन्नत नियंत्रण एल्गोरिद्म है, जो लगातार रोबोट के व्यवहार की भविष्यवाणी करता है और ट्रांसफॉर्मेशन के दौरान स्थिरता बनाए रखने के लिए रियल-टाइम में समायोजन करता है।
इस नियंत्रण प्रणाली के विकास के लिए शोधकर्ताओं ने कैलटेक के ड्रोन लैब में व्यापक परीक्षण किए, जिनमें लोड सेल प्रयोग और जटिल एयरोडायनामिक्स को समझने के लिए स्मोक विज़ुअलाइज़ेशन शामिल था। इसके परिणामस्वरूप विकसित मॉडल प्रेडिक्टिव कंट्रोल सिस्टम एटीएमओ को ट्रांसफॉर्मेशन के दौरान उत्पन्न होने वाली चुनौतियों, खासकर जमीन के पास होने वाली अनिश्चित वायुतरंगों, से निपटने में सक्षम बनाता है।
इस तकनीक के संभावित उपयोग बहुत व्यापक हैं। ऐसे रोबोट्स की बढ़ी हुई फुर्ती और मजबूती इन्हें वाणिज्यिक डिलीवरी सिस्टम्स के लिए बेहद उपयुक्त बनाती है, खासकर विविध भू-भाग वाले क्षेत्रों में। खोज और बचाव अभियानों में, एटीएमओ जैसे रोबोट्स आपदा क्षेत्रों का ऊपर से तेजी से सर्वेक्षण कर सकते हैं और फिर बिना रुके संकरे स्थानों की जमीनी जांच कर सकते हैं। यह तकनीक उन खतरनाक वातावरणों की खोज में भी अमूल्य साबित हो सकती है, जहां इंसानों की पहुंच सीमित या जोखिमपूर्ण हो।