कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा असली 'ट्रांसफॉर्मर' रोबोट तैयार किया है, जो मशीनों के हवा और ज़मीन के बीच नेविगेट करने के तरीके को बदल रहा है। एरियली ट्रांसफॉर्मिंग मॉर्फोबोट (ATMO) बिना किसी रुकावट के उड़ने वाले ड्रोन से ज़मीन पर चलने वाले वाहन में बदल सकता है, और यह रूपांतरण केवल एक मोटर की मदद से नियंत्रित होता है।
पारंपरिक हाइब्रिड रोबोट्स को अपना रूप बदलने के लिए पहले लैंड करना पड़ता है, जबकि ATMO में इतनी बुद्धिमत्ता है कि वह हवा में ही अपना रूप बदल सकता है। इससे वह आसानी से ज़मीन पर चलना शुरू कर सकता है, जिससे संचालन में कोई रुकावट नहीं आती। इसकी बढ़ी हुई फुर्ती और मजबूती इसे वाणिज्यिक डिलीवरी सिस्टम्स और रोबोटिक खोजकर्ताओं के लिए खासतौर पर उपयोगी बना सकती है। रोबोट चार थ्रस्टर्स का उपयोग कर उड़ता है, लेकिन इन्हें घेरने वाले शराउंड्स ही ज़मीन पर चलने के दौरान इसके पहिए बन जाते हैं। पूरा रूपांतरण एक ही मोटर द्वारा संचालित केंद्रीय जोड़ पर निर्भर करता है, जो ATMO के थ्रस्टर्स को ड्रोन मोड में ऊपर या ड्राइव मोड में नीचे ले जाता है।
शोधकर्ताओं ने इस रोबोट और इसकी उन्नत नियंत्रण प्रणाली का विवरण हाल ही में जर्नल 'कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग' में प्रकाशित एक शोध पत्र में दिया है। कैलटेक में एयरोस्पेस के ग्रेजुएट छात्र और इस शोध पत्र के प्रमुख लेखक इओआनिस मंद्रालिस कहते हैं, "हमने एक नया रोबोटिक सिस्टम डिज़ाइन और तैयार किया है, जो प्रकृति से प्रेरित है—जैसे जानवर अपने शरीर का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतियों के लिए अलग-अलग तरीकों से करते हैं।" उदाहरण के लिए, पक्षी उड़ते हैं और फिर अपने शरीर की बनावट बदलकर खुद को धीमा करते हैं और बाधाओं से बचते हैं।
इंजीनियरिंग की यह चुनौती काफी बड़ी थी। कैलटेक के सेंटर फॉर ऑटोनॉमस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज (CAST) के निदेशक और हैंस डब्ल्यू. लिपमैन प्रोफेसर ऑफ एरोनॉटिक्स एंड मेडिकल इंजीनियरिंग मोरी घरीब कहते हैं, "भले ही किसी पक्षी को उतरते और दौड़ते देखना आसान लगता है, लेकिन वास्तव में यह एक ऐसी समस्या है, जिससे एयरोस्पेस उद्योग पिछले 50 वर्षों से जूझ रहा है।" सभी उड़ने वाले वाहनों को ज़मीन के पास जटिल बलों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, जब कोई हेलीकॉप्टर लैंड करता है, तो उसके थ्रस्टर्स नीचे की ओर बहुत सारा हवा धकेलते हैं।
इन जटिल एयरोडायनामिक चुनौतियों से निपटने के लिए टीम ने कैलटेक के ड्रोन लैब में कई प्रयोग किए, जिनमें लोड सेल टेस्ट और स्मोक विज़ुअलाइज़ेशन शामिल हैं, ताकि यह समझा जा सके कि रूपांतरण के दौरान वायु प्रवाह कैसे बदलता है। इन जानकारियों का उपयोग करते हुए एक स्मार्ट नियंत्रण प्रणाली तैयार की गई, जो मॉडल प्रेडिक्टिव कंट्रोल पर आधारित है। यह प्रणाली रोबोट को यह अनुमान लगाने में सक्षम बनाती है कि उसकी गति कैसे बदलेगी और स्थिरता बनाए रखने के लिए रियल-टाइम में समायोजन कर सकती है। टीम को उम्मीद है कि ATMO की अनूठी फुर्ती, मजबूती और बुद्धिमत्ता अगली पीढ़ी की स्वायत्त मशीनों का मार्ग प्रशस्त करेगी, खासकर डिलीवरी, खोज और बचाव, तथा ग्रहों की खोज जैसे क्षेत्रों में, जहां अप्रत्याशित परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालना आवश्यक है।