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YouTube ने DeepMind के Veo 2 AI वीडियो क्रिएशन के साथ Shorts को पूरी तरह बदला

YouTube ने Google DeepMind के शक्तिशाली Veo 2 मॉडल को अपने Shorts प्लेटफॉर्म में एकीकृत कर दिया है, जिससे क्रिएटर्स अब केवल टेक्स्ट प्रॉम्प्ट्स के जरिए उच्च गुणवत्ता वाला वीडियो कंटेंट बना सकते हैं। इस महत्वपूर्ण अपग्रेड के तहत यूज़र्स न सिर्फ AI-जनित बैकग्राउंड्स, बल्कि स्वतंत्र वीडियो क्लिप्स भी बना सकते हैं, जिससे शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट के लिए अभूतपूर्व रचनात्मक संभावनाएं खुलती हैं। इस फीचर में SynthID वॉटरमार्किंग तकनीक भी शामिल है, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और AI-जनित कंटेंट को स्पष्ट रूप से लेबल करती है।
YouTube ने DeepMind के Veo 2 AI वीडियो क्रिएशन के साथ Shorts को पूरी तरह बदला

YouTube ने AI-संचालित कंटेंट निर्माण में एक बड़ा कदम उठाते हुए Google DeepMind के उन्नत Veo 2 वीडियो जनरेशन मॉडल को अपने Shorts प्लेटफॉर्म में एकीकृत कर लिया है। यह रणनीतिक कदम दुनिया भर के लाखों क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध रचनात्मक क्षमताओं का दायरा काफी बढ़ा देता है।

Veo 2 का एकीकरण YouTube की मौजूदा Dream Screen फीचर को और बेहतर बनाता है, जो पहले केवल Shorts के लिए AI बैकग्राउंड्स बनाने की सुविधा देता था। अब क्रिएटर्स न सिर्फ और अधिक यथार्थवादी बैकग्राउंड्स बना सकते हैं, बल्कि छह सेकंड तक की स्वतंत्र वीडियो क्लिप्स भी तैयार कर सकते हैं, जिन्हें किसी भी Short में शामिल किया जा सकता है।

YouTube की प्रोडक्ट डायरेक्टर दीना बेर्रादा के अनुसार, "Veo 2 असली दुनिया की फिजिक्स और मानव गतियों को बेहतर समझता है, जिससे इसका आउटपुट और भी विस्तृत और यथार्थवादी बनता है।" यह मॉडल विभिन्न विजुअल स्टाइल्स और विषयों को सपोर्ट करता है, और क्रिएटर्स इसमें खास सिनेमैटिक इफेक्ट्स, स्टाइल्स या लेंस विकल्प भी चुन सकते हैं ताकि उनका AI-जनित कंटेंट पूरी तरह कस्टमाइज हो सके।

यह तकनीक OpenAI के Sora टेक्स्ट-टू-वीडियो जेनरेटर का Google का जवाब है, लेकिन इसे सीधे दुनिया के सबसे बड़े वीडियो प्लेटफॉर्म में एकीकृत किया गया है। Veo 2 4K तक की हाई-रेजोल्यूशन वीडियो बना सकता है और बेंचमार्क टेस्ट्स में अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर चुका है।

गलत सूचना और पारदर्शिता को लेकर चिंताओं के समाधान के लिए YouTube ने DeepMind की SynthID वॉटरमार्किंग तकनीक लागू की है, जो सभी AI-जनित कंटेंट में डिजिटल मार्कर्स एम्बेड करती है। इसके अतिरिक्त, इन वीडियो को स्पष्ट रूप से AI-निर्मित के रूप में लेबल किया जाएगा, ताकि दर्शक मानव और मशीन-निर्मित कंटेंट में अंतर कर सकें।

फिलहाल यह फीचर अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध है, और YouTube आने वाले महीनों में इसका वैश्विक विस्तार करने की योजना बना रहा है। यह चरणबद्ध रोलआउट कंपनी को यह सुनिश्चित करने का मौका देता है कि तकनीक उम्मीद के मुताबिक काम कर रही है, उसके बाद ही इसे पूरी दुनिया में उपलब्ध कराया जाएगा।

क्रिएटर्स के लिए यह प्रक्रिया बेहद आसान है: वे Shorts कैमरा के Green Screen फीचर के जरिए Dream Screen का उपयोग करके बैकग्राउंड बना सकते हैं, या मीडिया पिकर के Create विकल्प से स्वतंत्र क्लिप्स जेनरेट कर सकते हैं। यह एकीकरण उन्नत वीडियो निर्माण टूल्स को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो प्लेटफॉर्म पर शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट के निर्माण के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है।

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